
ऑथर मॉर्गन होटल जब कॉलेज में थे तो पैसे कमाने के लिए वेटर की जॉब किया करते थे। जहां वो जॉब करते थे वो Los Angeles का एक आलीशान और महंगा होटल था। एक बार वहां एक गेस्ट आया जो अक्सर उस होटल में आया करता था, वो लड़का एक टेक्नोलॉजी एग्जीक्यूटिव था और काफी तेज दिमाग वाला था। सिर्फ 20 साल की उम्र में ही उसने वाई-फाई राउटर के लिए एक कंपोनेंट डिजाइन करके उसे पेटेंट करवा लिया था।
उस यंग मिलेनियर ने कई सारी टेक कंपनी स्टार्ट की और बाद में उन्हें बेच दिया। वो काफी सक्सेसफुल था। लेकिन पैसों को लेकर वो इनसिक्योर और बचकाना बेवकूफी वाली मानसिकता रखता था।
हम सभी के मन में पैसों को लेकर एक कांसेप्ट होता है और इसी कारण हम सब अलग अलग बिहेव करते हैं। कोई बहुत ही खर्चीला होता है और कोई बहुत ही बचत करने वाला होता है।
वो लड़का जहाँ भी जाता अपने साथ नोटों की गड्डी रखता था और जो भी उसके साथ बात करता, उसे वो ये पैसे दिखाता था। वो शराब पीकर बड़ी-बड़ी डींगे मारता था। एक दिन उस आदमी ने गाड़ी पार्क करने वाले गार्ड को बुलाया और उसे कुछ नोट देकर पास वाली दुकान में जाने का ऑर्डर दिया। गार्ड को नोट के बदले दुकान वाले ने कई $1000 सोने के सिक्के दिए।
तो उस यंग टेक्निशियन ने उन गोल्ड कॉइन्स का क्या किया होगा? उसने वो कॉइन्स समुद्र में फेंक दिए। उसने अपने दोस्तों को भी बुला लिया और सबने मिलकर वो कॉइन्स समुद्र में ऐसे फेंक दिए जैसे कोई तालाब में पत्थर फेंकता है। वे आपस में प्रतिस्पर्धा कर रहे थी कौन सबसे दूर तक सिक्के को फेंकता है।
उसके कुछ दिनों बाद एक दिन वो यंग मिलेनियर गलती से होटल के लैंप से टकरा गया। मैनेजर ने उसे कहा कि लैंप की कीमत $500 है तो उस आदमी ने तमाशा खड़ा कर दिया। उसने अपने जेब से पैसे निकाल कर मैनेजर के मुंह पर दे मारे और बोला “ये रहे $5000, अब दोबारा मुझे अपनी शक्ल मत दिखाना।”
शायद आप सोच रहे होंगे कि ये कहानी सच है क्या? शायद आप सोच रहे होंगे कि उस यंग मिलेनियर का क्या हुआ होगा? जी हां, ये स्टोरी एकदम सच है। लेकिन इस कहानी के लास्ट में यंग मिलेनियर का दिवाला निकल जाता है। उसने कुछ ही सालों में जो कुछ कमाया था वो सब गंवा दिया
कहानी का अंत:
“उसने कुछ ही सालों में जो कुछ कमाया था, सब कुछ खो दिया।”
“अहंकार और लापरवाह व्यवहार सबसे सफल व्यक्तियों को भी घुटनों पर ला सकता है। विनम्र रहें, समझदार बनें।”
“धन की वास्तविक शक्ति इसे सही तरीके से इस्तेमाल करने में है, न कि इसे दिखावे और अहंकार में बर्बाद करने में।”*
Story from the book “PSYCHOLOGY OF MONEY” – by MORGAN HOUSEL.
