पहला पहला इमरजेंसी फंड ना बनाना

सामान्यता क्या होता है कि जब इन्वेस्टर ऐसा सोचता है कि मुझे म्युचुअल फंड में इन्वेस्टमेंट करना है तब वह सीधा इक्विटी फंड में इन्वेस्ट करना चालू करते हैं उनको लगता है कि मुझे इक्विटी फंड में रिटर्न्स ज्यादा मिल जाएगा और वे इमरजेंसी फंड जो कि लिक्विड फंड में किया जाता है उसको नहीं करते हैं क्योंकि इसमें 7 या 8% का रिटर्न मिलता है

अब समस्या यह आती है अब जब उन्हें अचानक पैसों की जरूरत पड़ती है, कोई इमरजेंसी आ जाती है, घर में किसी की तबीयत खराब हो गई या नौकरी चली गई या बिजनेस में प्रॉब्लम आ गई. इस केस में सबसे पहले उनको म्यूच्यूअल फंड दिखाई देता है।क्योंकि म्यूच्यूअल फंड लिक्विड होता है मतलब जब चाहे तब उसमें से पैसा निकाल सकते हैं। इसलिए सबसे पहले जरूरत के वक्त म्यूच्यूअल फंड टूटता है उसमें से पैसे निकाल लिए जाते हैं और आगे जो पावर आफ कंपाउंडिंग का, चक्रवृद्धि ब्याज का फायदा मिलना था वह नहीं मिलता है सबसे ज्यादा तकलीफ तब होती है जब इन्वेस्टर को पैसों की अचानक जरूरत आ पड़ी है और उस समय मार्केट गिरा हुआ है और इन्वेस्टर नुकसान में पैसे निकाल लेता है।

अब आप समझ सकते हैं कि क्यों इन्वेस्टमेंट गुरु इमरजेंसी फंड बनाने पर इतना जोर देते हैं। इमरजेंसी फंड कितना होना चाहिए? सामान्यता हमारे महीने के खर्च का 6 गुना इमरजेंसी फंड होना चाहिए मतलब अगर मेरी नौकरी चली गई या बिजनेस डिस्टर्ब हो गया तो 6 महीने तक मेरा घर खर्च चल जाना चाहिए। इस पैसे को हम इक्विटी फंड में नहीं डाल सकते हैं। इस पैसे को हमें डेट फंड में ही डालना चाहिए जहां पर 7से 8% के आसपास का रिटर्न मिलता है।

इक्विटी फंड से कमाने का एक तरीका यही है कि हमारे पास इमरजेंसी फंड रहे। जैसे घर बनाते समय नीव की जरूरत होती है उसी तरह इक्विटी फंड से बहुत ज्यादा पैसा कमाने के लिए आपके पास इमरजेंसी फंड होना ही चाहिए।

दूसरी गलती जो इन्वेस्टर्स करते हैं खासकर बिजनेसमैन वह है अपने व्यापार से सैलरी नहीं उठाना:

मैं सिंधी कम्युनिटी से बिलॉन्ग करता हूं और बहुत सारे व्यापारी लोगों के टच में रहता हूं और मैं देखता हूं कि जब भी पैसों की जरूरत होती है तो वह गल्ले से पैसे निकाल लेते हैं वह हर महीने अपने आप को सैलरी नहीं देते हैं तो नुकसान क्या होता है कि उनको पता नहीं कि घर का खर्च कितना है।

एक न एक दिन ऐसा आएगा जब व्यापारी को बिजनेस छोड़ना पड़ेगा हो सकता है वह रिटायर हो जाए,हो सकता है कि वह सेकंड जेनरेशन को बिजनेस दे दे यह हो सकता है कि स्वास्थ्य के कारणों से वह बिजनेस को छोड़ दें तब उसकी इनकम का साधन बिजनेस नहीं रह जाएगा तब गल्ले से पैसे नहीं निकाल पाएगा। अपने खर्च के लिए ऐसे दिन की तैयारी व्यापारी को आज से ही करनी चाहिए। अगर वह हर महीने अपने आप को सैलरी देगा तो उसमें से 70% पैसा वह घर खर्च मैं कर सकता है और 30% पैसा इन्वेस्ट कर सकता है जो कि उसके रिटायरमेंट और दूसरी फाइनेंशियल गोल्स के समय काम आएंगे।

मैंने देखा है कि जो व्यापारी अपने आप को सैलरी नहीं देते हैं वह हमेशा कंफ्यूज रहते हैं कि उनको कितना पैसा इन्वेस्ट करना चाहिए। बिजनेस में जो उन्होंने इन्वेस्ट किया है उसको ही वह इन्वेस्टमेंट समझते हैं जिसके कारण अगर बिजनेस में तकलीफ आ गई तो उनकी पर्सनल लाइफ में भी तकलीफ आ जाती है इसलिए बिजनेस कोच इस बात की सलाह देते हैं कि हमारी बिजनेस लाइफ और पर्सनल लाइफ दोनों अलग अलग होना चाहिए हमारे बिजनेस का फाइनेंस और हमारा पर्सनल फाइनेंस दोनों अलग अलग होना चाहिए।

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